चार धर्म

#RD_Love_is_life
आप लोगो से मैं एक बात कहना चहाता हूं  हो सके मेरे बात किसी को गलत लगे और किसी को सही पर ये जो भी बातें है ओ हम लोगो का बीच का ही है पर मेरे इस बातो को दिल से मत लेना पर मेरे बातो पर गौर जरूर करना ।
हमारे भारत देश में चार प्रकार के धर्म को  मानने वाले लोग रहते है हिन्दू ,मुस्लिम,ईसाई,सिक।और इनकी जनसंख्या इस प्रकार है।
ईसाई : दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी ईसाइयों की है। विश्व आबादी में उनकी हिस्सेदारी 31.5 प्रतिशत और आबादी लगभग 2.2 अरब है।

मुसलमान : इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसे मानने वालों की आबादी 1.6 अरब मानी जाती है। विश्व आबादी में उनकी हिस्सेदारी 1.6 अरब है।

हिंदू : लगभग एक अरब आबादी के साथ हिंदू दुनिया में तीसरा बड़ा धार्मिक समुदाय है। पूरी दुनिया में 13.95 प्रतिशत हिंदू हैं।

सिख : अपनी रंग बिरंगी संस्कृति के लिए दुनिया भर में मशहूर सिखों की आबादी दुनिया में 2.3 करोड़ के आसपास है।

  अब बात आता है की इन धर्म को कौन बनाया है तो इन धर्म को कोई और नही बल्कि हम इंसानो ने ही बनाया है और इन चार धर्मो में बधे हुए है और आज भारत देश में इसी के चलते ही कई सारे बहस और मुद्दे खड़ा हो जाते है पर हम बात इन सब के बारे में नही करेंगे अब हम तो चार धर्म में बट चुके है तो बात करते है अपने धर्म की जो की अपना धर्म हिन्दू है ।अब हिन्दू धर्म में बहुत सी जातीय सामिल होते है और इस जाती को भी हमने ही बनाया है पर इसका मतलब ये नही है की हम सब अलग अलग हो जाए ये तो सिर्फ एक पहचान है जैसे की हम किसी का नाम रखते है और उस वेक्ति को नाम से पहचानते है तो इशी प्रकार एक जाती होती जो की अपना पहचान बताता है की मैं ये जाती का हूं अब जाती तो कई प्रकार की होती है हम हिन्दू धर्म में जैसे की केवट,पटेल,कुर्मी,थवाईत,चन्देल,नाइ,
  चौधरी,इस प्रकार से बहुत से जाती अंकित होता है पर अब इस जाती को भी दो श्रेणी में रख दिया है जो ऊपर हम ने अभी बताया ओ सभी जातीय पिछड़ा वर्ग में आता है 
 अब पहला वर्ग में जनजाति हरिजन 
 तो इसमे गोड,कवर,पैकरा,सतनामी,खुटे,और भी कई प्रकार की जातीय इनमें भी सामिल होती है ।अब जैसे की चार धर्म होते है हमने पहले ही बताया है और इन चारो धर्म का अलग अलग महत्व होता है 
 
 हिन्दू धर्म -हिन्दू धर्मभारत की सबसे व्यापक और प्रमुख धर्म है और इसमे में 33 करोड़ देवी देवताओ की पूजा की जाती है जादा से जादा महत्व पूजा पाठ में दिया जाता है जैसे मूर्ति पूजा भगवान का उपासना करना  और धार्मिक कार्य क्रम करवाना जैसे कथा भागवत करवाना गणेश,मा दुर्गा बैठना,ब्रम्ह,विष्णु,महेश,और हर एक साल में हर एक गांव में रामायण किया जाता है इस तरह हिन्दू समाज में सभी एकता के सूत्र में बधे होते हैहिंदू धर्म से जुड़े त्यौहार

 

लोहड़ी 
मकर संक्रांति 
भोगी पांदीगाई 
गंगा सागर स्नान 
पोंगल 
माघ बिहू 
पौष पुत्रदा एकादशी 
थाई पुसम 
सकट चौथ 
वसंत पंचमी 
रथ सप्तमी 
कुंभ संक्रांति
भीष्मा अष्टमी 
जया एकादशी 
माघ पूर्णिमा 
विजया एकादशी
महा शिवरात्रि 
चपचार कूट 
मीन संक्रांति 
अमालकी एकादशी
होलिका दहन 
होली 
अरात्तुपुझा पुरम 
होला मोहल्ला
शीतला अष्टमी/बासौड़ा 
पापमोचनी एकादशी 
चैत्र नवरात्रि 
गुड़ी पड़वा 
गणगौर 
राम नवमी
कामदा एकादशी 
बोहाग या रोंगाली बिहू
हनुमान जयंती   
वरुथिनी एकादशी 
विशु उत्सव 
परशुराम जयंती
अक्षय तृतीया 
गंगा सप्तमी 
सीता नवमी
त्रिशूर पूरम
मोहिनी एकादशी 
बुद्ध पूर्णिमा 
वृषभ संक्रांति 
जामाई षष्ठी 
अपरा एकादशी 
श्री शनि देव जयंती 
वट सावित्री पूजा 
गंगा दशहरा
महेश नवमी 
निर्जला एकादशी 
मिथुन संक्रांति 
योगिनी एकादशी व्रत
जगन्नाथ रथ यात्रा 
गुरु हरगोबिन्द सिंह जी जयंती
भड़ली नवमी 
देवश्यनी एकादशी 
दक्षिणायन संक्रांति 
गुरु पूर्णिमा 
कामिका एकादशी 
हरियाली अमावस्या 
हरियाली तीज
नाग पंचमी
श्रावण पुत्रदा एकादशी 
बहुला चौथ 
ओणम 
सिंह संक्रांति 
रक्षा बंधन 
कजरी तीज 
कृष्ण जन्माष्टमी 
अजा एकादशी 
हरितालिका तीज
गणेश चतुर्थी 
ऋषि पंचमी 
अंनत चतुर्थी 
पितृ पक्ष 
भाद्रपद पूर्णिमा 
कन्या संक्रांति 
विश्वकर्मा पूजा 
इंदिरा एकादशी 
शारदीय नवरात्रि 
सरस्वती अवाहन 
महानवमी
दुर्गा पूजा 
दशहरा
पापनकुंशा एकादशी 
कोजागरी पूजा 
कोरट्ठी मुठी उत्सव
करवा चौथ 
तुला संक्रांति 
काटी बीहू 
अहोई अष्टमी 
रमा एकादशी 
धनतेरस 
छोटी दिवाली/नरक चतुर्दर्शी
दीपावली 
काली पूजागोवर्धन पूजा 
भाई दूज 
निंगोल चाक्कोबा 
छठ पूजा 
आवंला नवमी 
देव उठानी एकादशी 
तुलसी विवाह 
कार्तिक पूर्णिमा 
कालभैरव जंयती
उत्पन्ना एकादशी 
विवाह पंचमी 
मोक्षदा एकादशी
गीता जयंती
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 
कार्तिकाई दीपम 
धनु संक्रांति 




मुस्लिम धर्म - 

इस्लाम देश का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है और इसका पालन करने वालों को मुसलमान कहा जाता है। यह उप वर्गों में बंटा है जिनमें सबसे प्रसिद्ध शिया और सुन्नी हैं। मुस्लिमों की पवित्र पुस्तक कुरान है इस्लाम धर्म पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं पर आधारित है, जिन्होंने अल्लाह के आदेश से उनकी दी हुई शिक्षाओं का विस्तार किया है। अल्लाह से प्राप्त पैगंबर के जो भी संदेश है वो हदीस में दर्ज किए गए हैं यह संदेश ही इस्लाम का आधार है। कुरान – इस्लाम धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक मानी जाती है। इस पुस्तक में ही मोहम्मद द्वारा प्राप्त अल्लाह के संदेश शब्दों के रुप में दर्ज हैं। ईस्लाम आज पूरे विश्वभर में व्यापक रुप से फैला हुआ है। ईस्लाम धर्म के लोग पूरे विश्व में मौजूद है। इस्लाम के अनुसार अल्लाह (ईश्वर) ने धरती पर मनुष्य के मार्गदर्शन के लिये समय समय पर किसी व्यक्ति विशेष को अपना दूत बनाया। यह दूत भी मनुष्य जाति में से ही होते थे और लोगों को ईश्वर की ओर बुलाते थे, इन व्यक्तियों को इस्लाम में नबी कहते हैं। जिन नबियों को ईश्वर ने स्वयं शास्त्र या धर्म पुस्तकें प्रदान कीं उन्हें रसूल कहते हैं। इस्लाम धर्म में मूर्ति पूजा नहीं की जाती। यह मदिंर की जगह मस्जिद में अल्लाह की इबादत करते हैं। उन्हें नमाज़ अदा करते हैं। भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख इस्लामी त्यौहारों में ईद-उल-फितर, ईद-उल-जुहा और मुहर्रम हैं।

इस्लाम से जुड़े त्यौहार

मुहर्रम 

बकरा ईद 

जमात-उल-विदा 

शब-ए-बारात 

ईद-उल-फितर 

मिलाद-उन-नबी 

हजरत अली जन्मदिवस 

शब ए मिराज

बारबंकी मेला
 
मिलाद उल नबी

ईसाई धर्म -ईसाई धर्म या मसीही धर्म या मसयहयत विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है । ईसाई धर्म के पैरोकार ईसा मसीह की तालीमात पर अमल करते हैं। ईसाईओं में बहुत से समुदाय हैं मसलन कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, आर्थोडोक्स, मॉरोनी, एवनजीलक आदि। 'ईसाई धर्म' के प्रवर्तक ईसा मसीह(जीसस क्राइस्ट) थे। ईसाइयों के त्योहारों को अन्य त्यौहारों के रूप में मनाया जाता है। इनके त्यौहार रंगीन और धार्मिक भावनाओं से भरे हुए होते हैं। भारत में ईसाई लोग ज्यादातर दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर और कोंकण तट के इलाकों में रहते है। ईसाई एकेश्वरवादी हैं, लेकिन वे ईश्वर को त्रीएक के रूप में समझते हैं- परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा है। ईसाई लोग ईसा मसीह में विश्वास रखते हैं और उन्हीं की पूजा करते हैं। उन्हें वे मानवता का रक्षक और परमेश्वर का पुत्र मानते हैं। ईसाइसों का मुख्य त्यौहार क्रिसमस है। गुड फ्राइडे, ऑल सॉल्स डे और ईस्टर कुछ ऐसे त्यौहार हैं, जो इस धर्म के लोग भारत में मनाते हैं।

ईसाई धर्म से जुड़े त्यौहार

क्रीसमस डे 
गुड फ्राइडे 
ईस्टर  
संत फ्रांसिस जेवियर उत्सव

सिक धर्म-भारत में सिख धर्म प्रमुख धर्मों में से एक है। सिक्ख धर्म के लोगों के पास बहुत सारे अलग-अलग रीति-रिवाज के उत्सव होते हैं, मस्ती और जोश के साथ मनाते हैं। सिख धर्म अपने दस सिख गुरुओं के जन्म एवं उनके जीवन से जुड़ी चीजों को उत्सवों के रुप में मनाते हैं। सिखों के लगभग सभी त्यौहार गुरुओं को समर्पित होते हैं। वह उनकी दी गयी सीखों को याद करते हैं। सिख धर्म में सभी उत्सवों पर पूजा-पाठ करने की विधि, पवित्र किताब जिसे “गुरुग्रंथ साहिब” कहा जाता है में निर्देशित है, जिसे पहली बार सिक्ख गुरु, गुरु नानक द्वारा संकलित किया गया था और बाद में सिक्ख गुरु, गुरु अर्जुन ने संपादित किया। सिख धर्म का गुरु ग्रन्थ लोगों के बीच देवताओं की जगह रखता है और किसी भी सिख त्योहार को मनाते समय वे इसे पालकी में रखकर सार्वजनिक जूलुस (बारात) के साथ बाहर ले जाते हैं। ये भगवान से जुड़ने के लिए और अपने उत्सव को मनाने के दौरान गुरुबानी गाना, पवित्र गीत, पवित्र किताबों को पढ़ना और धार्मिक गीत-संगीत करते हैं। सिखों के सभी त्यौहारों में गीत-संगीत एवं पारंपरिक नृत्य अवश्य विद्धमान होता है।

सिख धर्म से जुड़े त्यौहार


गुरु गोबिंद सिंह जयंती 

लोहड़ी 

होला मोहल्ला   

बैसाखी 

गुरु हरगोबिन्द सिंह जी जयंती 

गुरु हरकिशन जयंती 

गुरु नानक जयंती 

गुरु अमरदास जयंती 

गुरु अर्जन देव पुण्यतिथि 

गुरु राम दास जयंती 

ये सब तो झहा तक ठीक है अब यहाँ पर बात आता है हम हिन्दुओ के लिए हिन्दुओ में भी काफी जादा देखने को मिलता है की मैं आप लोगो को यहां पर कैसे समझाऊ फिर भी समझाने का प्रयास  करते है हो सके आपको समझ में आ जाए तो मेरा कहने का मतलब यह है की जैसे की चार धर्म है और चारो धर्म का अपना अपना महत्व होता है और उस महत्व को सभी धर्म के लोग अलग अलग प्रकार से मानते है अलग अलग का मतलब है की जैसे हम हिन्दू है तो हम भगवान और पूजा पाठ में विश्वास रखते है 
और इसी प्रकार से मुस्लिम,ईसाई,सिक,इनमें भी अलग अलग प्रकार के मानने वाले लोग होते है मतलब की सभी धर्म में जो पूजा करने का तरीकाअलग अलग  होता है और जो तेहवार होता है ओ अलग अलग प्रकार से मनाया जाता है ।तो हम हिन्दुओ में क्यो दूसरे धर्म का प्रचार करता है चलो प्रचार करना तो ठीक है पर क्यो हिन्दुओ को ये कहा जाता है की आप ये धर्म को मानो अब ईसाई धर्म के लोग हिन्दू धर्म में प्रचार कर रहे है अपने ईसाई धर्म को तो जो उसके लीडर होते है प्रचार करता तो उसका कहना होता है की तुम अब मेरे धर्म में जुड़ गए हो तो आपको ये सब काम करना है येसा बोलते है और उससे संबधित पुस्तक देते है पड़ने के लिए मैं तो ईसाई धर्म के संस्था में कभी गया नही हूं पर कई लोग जुड़े हुए  है उससे पूछने में पता चलता है तब वे बोलते है की इसमे जुड़ने से सारे दुख दर्द दूर हो जाते है अच्छा ये तो ठीक है और बोलते है की इसमे भगवान से कोई मतलब नही होता यानी भगवान का पूजा पाठ नही करना है और न तो धूप अगरबती नही जलना है और तो और कोई कुछ खाने को दे तो एक मंत्र होता है उसे पड़ना पड़ता है फिर दूसरे के दिए हुए खाना हो या कोई फल को खाया जाता है और हर साम को डफली और मोमबत्ती के साथ पूजा करना होता है जब की ये कहा था की पूजा पाठ करना ही नही है तो येसा करना क्या लगत नही है मानता हूं की प्रचार करना गलत नही है पर ये तो मत कहो की भगवान का पूजा नही कर सकते ये तो गलत है ना येसा इसी धर्म में नही होता है सभी धर्म में होता है और हम हिन्दू धर्म के लोग दूसरे धर्म में तो नही जाते है की मेरे धर्म को अपनाओ येसा तो नही कहते हम लोग।

मेरा कहने का मतलब तो सिर्फ इतना है की चाहे कोई भी धर्म हो जब सभी अपने अपने धर्म में विस्वाश करते है तो फिर क्यो हम हिन्दुओ को दूसरे धर्म में इतना विस्वास हो जाता  है  और हम अपने धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म में चले जाते है और लोग कहते है की सभी भगवान एक होते है बस नाम अलग अलग तो फिर क्यो भगवान को पूजने से मना करते है ।

सभी लोग जात पात को छोड़ो जो जिसे पूजते है उसे पूजने दो आपस में सब घुल मिलकर रहो आखिर कार हम सब इंसान ही तो है जो हमेसा एक दूसरे का मदद कर सकते है और राह दिखा सकते है पर दबाव नही दाल सकते है की तुम मेरे ही धर्म को मानो येसा ।।


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