परीवारीक झगडे
आज कल तो सभी के घरो मे परीवारीक झगडे होते ही रहते है पर ये झगडे क्यों होता है आपने कभी गौर कीया होगा की गुस्सा के कारण ही झगडे होते है हा हम ये भी जानते है की गुस्सा तो हर कीसी को आता है और गुस्सा तो हमे भी आता है पर आता कीयो है गुस्सा गुस्सा का मुल कारण कीया होता है आम तौर पर घर मे 4 से 6 से 8 का एक परीवार होता है तो घर मे दो लोग रहते है तो भी झगडे होते है यैसे ही घर 4से8 लोग घर मे रहते है तो भी झगडे ऐसा कियो होता है ऐसा हम लोगो के सोचने के वजह से तो नही होता क्यों न हम अपने सोचने के जरीया को बदले तो अब आपके मन मे सवाल आयेगा की अपने सोचने के जरीया को कैसे बदले तो सोचने के जरीया को आप अपने ही आपस मे बाते कर के भी बदल सकते है आपने देखा होगा की सोचने का जरीया कैसे बदलता है उदाहरण के लीए-हम कोई भी मूवी टीवी सीरीयल या कुछ बनाने वाला विडीयों को देखते तो उस वक्त हमारे दीमाक मे सोचने का जरीया बदल जाता है की हम भी यैसा कर सकते है तो क्यों न हम अपने बातो का धिन्यान दे कि कब और कीससे कैसा बात करना है जीससे परीवारीक झगडे कुछ कम हो जाये और परिवार मे छोटे से छोटे बातो का ध्यान रखे की आज मुझे घर वालो ने किया बोला था और छोटे छोटे बातो पर गुस्सा नही होना चाहिए परिवार मे अपने से बडे का आदर और सम्मान करना चाहिए और उनके बातो को मानना चाहिए। परिवार मे कभी भी कोई एक आदमी के बातो को दुसरे आदमी मे नही दोहराना चाहिए जीसे आम तौर पर लोग चारी चुगली कहते है बीना सोचे समझे कीसी बातो पर बहस नही करना चाहिए।हमेशा सुज बुझ से काम लेना चाहिए परिवार मे एकता रहना अनीवार्या होता है।ये तो था कुछ परीवार का दो चार शब्द।
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